लेखनी प्रतियोगिता -12-Jan-2022
एक नई ग़ज़ल पेश है
सब कुछ छोड़ कर चल दिये एक मन्ज़िल के लिए
मगर दुनिया तमन्नाई है आज भी हमारे दिल के लिए
क्यों सजाते रहते हो अपने चमन में ये फूलों के ज़खीरे
आपका तो तबस्सुम ही काफ़ी है इस खुश दिल के लिए
तलाश में रहते हैं जो लोग इस हदफ़े ज़िन्दगी के लिए
रोशनी मिलती चली जाती है उनके मुस्तक़बिल के लिए
यूँ तो मसरूफियत है ज़िन्दगी की हर किसी को मगर
छोड़ देते सब कुछ सब,दोस्तों की महफ़िल के लिए
बसा रक्खा है किरदार का खज़ाना कुछ ऐसा खुद में
हर कोई बोल पड़ता है कि बने हैं हम मन्ज़िल के लिए
ख़ुदा ने बुलन्दी से इस क़दर नवाज़ रखा है नौशाद को
लफ्ज़ कम पड़ जाते हैं तेरे हौंसला ऐ क़ाबिल के लिए
डॉ नौशाद रब्बानी
Seema Priyadarshini sahay
15-Jan-2022 10:16 PM
बहुत खूबसूरत
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Rakash
13-Jan-2022 12:23 PM
Bahut hi accha
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Sudhanshu pabdey
13-Jan-2022 10:53 AM
Very nice
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